Unique ! Inaamulhaq ! इंडस्ट्री में पर्दे के पीछे काम करने वालों की नहीं है हिंदी भाषा पर पकड़, मुंशी प्रेमचंद्र जैसी शख्सियत को भी नहीं हैं पहचानते

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कुछ कलाकार अपनी भूमिकाओं से दर्शकों के जेहन में अपनी छवि स्थापित कर जाते हैं। ‘लखनऊ सेंट्रल’,फिल्मीस्तान’,’एयरलिफ्ट’,’जॉलीएलएलबी 2′ और अभी हाल ही में महारानी सीरीज में अपने उम्दा अभिनय से सबको मोहित करने वाले अभिनेता इनामुल हक की सबसे खास बात जो मुझे नजर आती है कि उन्होंने ग्लैमर की खोज में अभिनय के गुण से समझौते नहीं किये हैं, इसलिए आज वह अपने काम से संतुष्ट भी दिखते हैं। हाल ही में उनके अभिनय को फिल्म मेरे देश की धरती, जिसमें वह दिव्येंदु और अनंत विधात जैसे कलाकारों के साथ नजर आये, उसमें उनके अभिनय की प्रशंसा हुई। अपने अब तक के सफर पर उन्होंने खास बातचीत की है, मैं यहाँ उस बातचीत के यहाँ अंश शेयर कर रही हूँ।

एक समय के बाद लगा कि टाइपकास्ट होने लगा हूँ

इनामुलहक बताते हैं कि उन्होंने कुछ समय के लिए काम से दूरी क्यों बनायीं

वह विस्तार से बताते हैं

कॉमेडी हमेशा से मेरा फोर्टे रहा है। कॉमेडी सर्कस का मैं क्रिएटिव राइटर और प्रोड्यूसर रहा हूं। मैं आज जो कुछ भी हूँ, इसमें कॉमेडी का खास योगदान रहा है, इसकी वजह से मुझे काफी रोजी रोटी मिली है। लेकिन, एक वक्त के बाद लगा इंडस्ट्री मुझे टाइपकास्ट करने लगी थी, इसलिए मैंने फिल्में करनी कम कर दी।  लेकिन फिर मेरे देश की धरती जैसी फिल्म आई, तो लगा कि कॉमेडी करने में कुछ नयापन आएगा, तो इसलिए मैंने फिल्म को हाँ कह दिया। साथ ही मुझे फिल्म का किरदार रोचक लगा।

नहीं है कोई इनसेक्योरिटी

इनामुलहक साफ़-साफ़ कहते हैं कि उनमें किसी भी तरह की असुरक्षा का भाव नहीं है, इसलिए वह कम काम करके भी खुश हैं।

वह कहते हैं

मैं तो अब भी भाड़े के घर में रहता हूं। सिम्पल लाइफ स्टाइल है  मेरी, मुझे लगता है कि मैं मेरे परिवार को सिम्पल और डिसेंट लाइफ दे पाने में सक्षम हूँ, मेरे लिए वहीं काफी है। बेटे को अच्छा एजुकेशन है।अपनी क्षमता के अनुसार सबकुछ बेस्ट दे रहा हूं तो मुझे खुद से या अपनी ज़िंदगी से कोई शिकायत नहीं है। मैं वर्क लाइफ हाई रखना चाहता हूं, लाइफ स्टाइल नहीं। इसलिए मुझे कम काम करके भी किसी भी तरह की असुरक्षा की भावना न के बराबर है।  आमतौर पर लोग अच्छी लाइफ के लिए कुछ भी काम कर लेते हैं,  लेकिन मैं उस सोच से नहीं हूं । इसलिए शायद मुझे किसी बात से तकलीफ नहीं होती है।

ओटीटी का अपना एक गणित है

इनामुलहक का कहना है कि ओटीटी की दुनिया एक अलग दुनिया है।

वह इस पर विस्तार से बात करते हुए कहते हैं

मुझे यह बात ओटीटी की दुनिया की अच्छी लगती है कि  अब हम किसी कहानी को आठ घंटे में कह सकते हैं,  तो किसी नॉवेल पर बेहतरीन वेब सीरीज बन सकती है। यहाँ एक्सप्लोर हो रहे हैं काफी सब्जेक्ट।  लेकिन मुझे ओटीटी की दुनिया की सेल्फ वैल्यू नहीं लगती है। मुझे सिनेमा किताब जैसी लगती है, जिसे संजो कर रखा जा सकता है। वहीं, टीवी अखबार के तरह लगती है और ओटीटी मंथली मैगज़ीन की तरह। आज से दस साल बाद 2022 में ओटीटी पर कौन-सी वेब सीरीज आयी थी लोगों को याद नहीं रहेंगी, लेकिन फिल्में हमेशा याद रह जाती हैं, तो ओटीटी की दुनिया का अभी अपना एक अलग तरह का गणित है।

हिंदी भाषा को देना है तवज्जो

इनामुलहक उन कलाकारों में से हैं, जो हिंदी भाषा को तवज्जो देना चाहते हैं।

वह कहते हैं

हाल ही में नवाजुद्दीन सिद्दीकी भाई ने जो बात कही है हिंदी को लेकर, वह सौ प्रतिशत सच है। यह हकीकत है, पूरी तरह से, मैं जब टीवी में  काम करता था, तब मैंने यह महसूस किया है कि मैं चैनल के लोगों से भी डील करता था, वहां कई युवा लड़के-लड़कियां काम करते थे, जो बाहर से पढ़ कर आये थे,  उन्हें अंग्रेज़ी के सेलिब्रेशन का हिंदी मतलब नहीं पता था। सबसे दिलचस्प बात तो तब हुई और मुझे गजब की हैरानी तब हुई,  जब वो महान लेखक मुंशी प्रेमचंद को भी नहीं जानते थे लेकिन वह उन पर ही  हिंदी  सीरियल बना रहे थे। सो, मैंने तय किया है कि मैं मेरे बेटे की तबीयत में हिंदी जुबान को जिन्दा रखूँगा, इसलिए मेरे बेटे की हिंदी और उर्दू और इंग्लिश तीनों ही भाषा पर अच्छी पकड़ है। हमें ही अपने जेनरेशन में हिंदी भाषा के महत्व को समझाना होगा।

वाकई, इनामुलहक न सिर्फ संजीदा कलाकार हैं, बल्कि संजीदगी से कला की बात भी करते हैं और मुझे पूरा यकीन है कि वह लगातार अपने काम में उम्दा प्रदर्शन करते रहेंगे और लोगों के दिलों में जगह बनाते रहेंगे।

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